उत्तराखण्ड। उत्तराखण्ड में नजूल भूमि को लेकर भाजपा सरकार ने बड़ा दांव खेला है।सरकार ने नजूल भूमि प्रबंधन,व्यवस्थापन एवं निस्तारण विधेयक 2021को सदन में रखा है,जिसके चलते 2018 में हाई कोर्ट के नजूल नीति निरस्त करने के फैसले से लोगो पर मंडरा रहे खतरे को सरकार ने दूर कर दिया है।
मालूम हो कि जून 2018 में नजूल नीति को निरस्त कर दिया था,जिसके बाद प्रदेश के हजारों लोगों पर बेघर होने का खतरा मंडराने लगे गया था।हाई कोर्ट के मकान तोड़ने के निर्णय के विरुद्ध राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एलएसपी दाखिल की जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के आदेश पर स्टे लगा दिया जिसके बाद सरकार ने नजूल नीति को मंजूरी दी।अब विधानसभा सत्र में सरकार ने नीति को पटल पर रख दिया।
मालूम हो कि 2009 में उत्तराखण्ड सरकार नजूल नीति लाई थी,जिसके तहत सरकार न लीज और कब्जे की भूमि को फ्रीहोल्ड करने की प्रक्रिया शुरू कर दी थी परंतु नजूल नीति के विरोध में हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई थी और 2019 में हाई कोर्ट ने नजूल नीति को गलत बताते हुए निरस्त कर दिया था,साथ ही नजूल नीति के तहत फ्री होल्ड हुई भूमि को भी निरस्त करने के आदेश दिए थे।
एक सर्वे के मुताबिक प्रदेश में लगभग 3,92,204 हेक्टेयर नजूल भूमि है।