जिले से लगी भारत-नेपाल सीमा के परशुराम घाट पर दो साल बाद फिर नौकायन शुरू हो गया है। इससे दोनों देशों के नागरिकों को आवागमन में मदद मिल सकेगी। फिलहाल यहां पर दो से तीन नाव चल रही है। इसके अलावा शीशमझाला में नौकायन शुरू होने में अभी समय लगने की संभावना है।
कोरोना के कारण साल 2020 में चम्पावत जिले से लगी भारत-नेपाल सीमा पर चूका में परशुराम घाट पर नौकायन को प्रतिबंधित कर दिया गया था। जिसके बाद लगातार दो साल तक यहां से आवागमन में भी बंद रहा। नेपाली नागरिक इस दौरान या तो ट्यूब का सहारा लेकर नदी पार करते थे या टनकपुर बैराज से। वहीं भारतीय टनकपुर बनबसा का मार्ग आवागमन के लिए प्रयोग कर रहे थे। लेकिन बीते दिनों कोरोना की स्थिति सामान्य होने के कारण नौकायन शुरू कर दिया गया है। इसी के साथ बंद हुए शीशमझाला घाट पर नौकायन का कार्य शुरू नहीं हो सका है। परशुराम घाट पर नाव का संचालन होने के बाद अधिकांश नेपाली नागरिक इस रूट का प्रयोग करते हैं। यहां से सीधा खल्ला, मुसेटी, महेंद्रनगर, ब्रह्मदेव समेत अन्य जगहों के लोग नाव में बैठकर पार होते हैं। जिनसे एक तय शुल्क वसूला जाता है। नेपाल प्रशासन यहां पर नाव का संचालन कराने से पूर्व टेंडर कराती है। बरसात के समय नौकायन ही नेपाली नागरिकों का एकमात्र नदी से पार होने का माध्यम है।
एक प्रतिष्ठित समाचार पत्र के मुताबिक नेपाल वाणिज्य उघोग संघ के पूर्व उपाध्यक्ष माधव जोशी ने कहा कि दो साल कोरोना के कारण यहां से आवागमन बंद रहा। लेकिन नौकायन के लिए दोनों देशों ने इसे फिर संचालित कर दिया है। टेंडर के मुतबिक नदी पार करने का तय शुल्क लिया जाता है। वहीं शीशमझाला में अभी नौकायन शुरू नहीं हो सका है।