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लंबे समय तक शारीरिक सम्बन्ध बनाने के बाद यदि कोई शादी करने से मना कर देता है तो उसे धोखाधड़ी नही माना जा सकता है।एक मामले की सुनवाई करते हुए बॉम्बे हाई कोर्ट ने यह टिप्पणी की है।
दरअसल पालघर के रहने वाले काशीनाथ के खिलाफ उनकी प्रेमिका ने शारीरिक सम्बन्ध बनाकर शादी न करने का आरोप लगाया था,जिसके बाद पुलिस ने धारा 376और 417 क तहत धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया था।इस मामले में अतिरिक्त सेशन जज ने काशीनाथ को रेप के आरोप में बरी कर दिया था लेकिन धोखाधड़ी का दोषी करार दिया था।
काशीनाथ ने अदालत के इस आदेश को बॉम्बे हाई कोर्ट में चुनौती दी थी,जिसके बाद अदालत ने उसे धोखाधड़ी के आरोप से भी मुक्त कर दिया है। जस्टिस प्रभुदेसाई ने कहा कि महिला और पुरुष के बीच 3 साल तक सम्बन्ध बने और दोनो का प्रेम प्रसंग था।जस्टिस ने कहा कि महिला अपने बयानों में कहीं ये साबित नही कर पाई कि उसे धोखे में रखा गया।
मामले की सुनवाई करते हुए अदालत ने कहा कि यह साबित होना चाहिए कि महिला के सामने शादी का वादा करते हुए जो तथ्य रखे गए थे वो गलत हों।अदालत ने कहा कि यह साबित होना चाहिए कि शादी के लिए उसके सामने गलत तथ्य रखे गए जिसके बहकावे में आकर उसने सम्बन्ध बनाये।
अदालत ने कहा कि महिला यह कही साबित नही कर पाई कि काशीनाथ ने उसे गलत जानकारी देकर शारीरिक सम्बन्ध बनाने के लिए तैयार किया था,ऐसे में लंबे समय तक सम्बन्ध बनाने के बाद भी शादी से इनकार करने को धोखाधड़ी नही माना जा सकता।