लावारिस पशुओं पर मानवीय अत्याचार के खिलाफ दायर याचिका पर सरकार से जवाब तलब।

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लावारिस पशुओं पर हो रहे मानवीय अत्याचार के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर  हाईकोर्ट ने  राज्य सरकार को जवाब तलब किया है। सरकार को  इस मामले में  चार हफ्ते में शपथ पत्र पेश करने के निर्देश दिए हैं। अगली सुनवाई मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी और न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ के समक्ष 21 सितंबर को होगी।

 
हाईकोर्ट में हल्द्वानी निवासी निरुपमा भट्ट तलवार द्वारा जनहित याचिका दायर कर कहा था कि लोगों की ओर से पालतू पशु गाय, घोड़ा, कुत्ता, बिल्ली, भैंस आदि को सड़कों, गलियों, जंगलों और नालों में छोड़ा जा रहा है। जिसकी वजह से उन पर अमानवीय अत्याचार हो रहा है । जिसमें उनको तरह तरह की प्रताडना दी जाती है। याचिका के अनुसार, अभी तक सरकार के पास पशु क्रूरता के मामलों के आंकड़े तक उपलब्ध नहीं हैं, जबकि पर्यावरण मंत्रालय भारत सरकार की रिपोर्ट 2012-15 के मुताबिक, भारत में 24000 हजार पशु क्रूरता के मामले दर्ज थे। जनहित याचिका में कोर्ट से प्रार्थना की गई कि लावारिस पशुओं के रहने के लिए सेल्टर, चिकित्सा, पानी, चारे की व्यवस्था करने के आदेश सरकार को दिए जाएं। इन पर हो रहे अत्याचार पर रोक लगाई जाए।

जबकि पशु कल्याम बोर्ड ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि बोर्ड ने लावारिस पशुओं के उत्थान के लिए कई कल्याणकारी योजनाएं चला रखी हैं, और कई एनजीओ इस पर कार्य कर रही हैं। वहीं दूसरी ओर याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि पशु कल्याण बोर्ड की ओर से जो आंकड़ा शपथपत्र में पेश किया गया है। वह कागजों तक ही सीमित है। हर गली मोहल्ले, सड़कों, नालियों में लावारिस पशु विचरण करने के लिए मजबूर हैं।

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