सरकारी जमीन को बेचने का मामला, उत्तराखंड हाईकोर्ट ने सरकार समेत विभागों से 10 दिन में मांगी जांच रिपोर्ट

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उत्तराखंड हाईकोर्ट ने हल्द्वानी में रेलवे, वन विभाग और राजस्व की जमीन को सौ और पांच सौ रुपये के स्टांप पेपर के जरिये बेचे जाने के मामले को गंभीरता से लिया है। राज्य सरकार, वन विभाग और रेलवे को 10 दिन के भीतर मामले की जांच कर रिपोर्ट कोर्ट में पेश करने के निर्देश दिए गए हैं। मामले की अगली सुनवाई 22 दिसंबर को होगी।

कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनोज कुमार तिवारी और न्यायमूर्ति विवेक भारती शर्मा की खंडपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई। हल्द्वानी निवासी हितेश पांडे ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा था कि हल्द्वानी की गफूर बस्ती में रेलवे की जमीन, गौलापार गोजाजाली स्थित वन विभाग व राजस्व की जमीन को भू-माफिया की ओर से सौ और पांच सौ रुपये के स्टांप पेपर पर बेच दिया गया है। जिन लोगों को यह जमीन बेची गई है वे उत्तराखंड के स्थायी निवासी नहीं हैं। वे लोग रोजगार के लिए यहां आए थे और कुछ ही समय बाद सीएससी सेंटर में इनके वोटर आईडी तक बन गए। जब इसकी शिकायत प्रशासन, मुख्यमंत्री पोर्टल पर की गई तो याचिकाकर्ता को जान माल की धमकी दी गई। याचिका में कहा कि वोट बैंक के चक्कर मे इनके लिए बिजली, पानी, स्कूल और अस्पताल के लिए करोड़ों रुपये खर्च किए जा रहे हैं। इस वजह से स्थायी रूप से रह रहे लोगों को सरकार की योजनाओं से वंचित रहना पड़ रहा है। जनहित याचिका में कोर्ट से प्रार्थना की गई कि इस मामले की जांच उच्च स्तरीय कमेटी से की जाए।


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