उत्तराखंड में पहाड़ों की रानी मसूरी को तहसील बनाने की मुराद सरकार ने बृहस्पतिवार को पूरी कर दी। लंबे अर्से से शहरवासी मसूरी को तहसील बनाने की मांग कर रहे थे। बृहस्पतिवार को जैसे ही कैबिनेट ने मसूरी को तहसील बनाने के प्रस्ताव पर मुहर लगाई शहर में खुशी की लहर छा गई। शहर के विभिन्न सामाजिक और राजनीतिक संगठनों से जुड़े लोगों ने सरकार के फैसले का स्वागत किया और शहरवासियों को बधाई दी।
लोगों का कहना है कि तहसील बनने के बाद शहर के लोगों को काफी सहूलियत मिलेगी और शहर की प्रशासनिक व्यवस्था मजबूत होगी। इतिहासकार जयप्रकाश उत्तराखंडी ने बताया कि मसूरी की स्थापना के दो सौ साल में कभी पूर्ण तहसील नहीं रही। ब्रिटिश काल में मेरठ से कमिश्नरी संचालित होती थी। 1840 से शहर मजिस्ट्रेट की तैनाती हो गई थी। उस समय जो सुविधाएं इंग्लैंड में होती थी वह सभी सुविधाएं अंग्रेजों ने मसूरी में उपलब्ध कराई। व्यवस्थाओं को और बेहतर बनाने के लिए अंग्रेजों ने 1850 में मसूरी सिटी बोर्ड का गठन किया था। अब मसूरी को सरकार ने तहसील का दर्जा दिया है। इससे यहां की व्यवस्थाएं और अच्छी हो जाएंगी। पूर्व भाजपा मंडल अध्यक्ष मोहन पेटवाल ने बताया, उन्होंने पिछले साल मुख्यमंत्री के मसूरी दौरे के दौरान उन्हें मसूरी को तहसील बनाने का मांगपत्र सौंपा था। कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी मसूरी ने भी इसके लिए पुरजोर समर्थन दिया था। पेटवाल ने कहा कि कैबिनेट के फैसले से बड़ी आबादी को लाभ मिलेगा। मसूरी ट्रेडर्स एसोसिएशन अध्यक्ष रजत अग्रवाल ने बताया कि सरकार की घोषणा से व्यापारियों को भी काफी लाभ मिलेगा, इससे व्यापार संगठनों में खुशी की लहर है। भाजपा मंडल अध्यक्ष राकेश रावत, भाजपा महानगर महिला मोर्चा उपाध्यक्ष पुष्पा पडियार, मंडल महामंत्री कुशाल राणा ने भी सरकार का आभार जताया। उत्तराखंड होटल एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष संदीप साहनी का कहना है कि तहसील बनने से अब लोगों को अपने जरूरी काम के लिए राजधानी के चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे। शहर कांग्रेस अध्यक्ष अमित गुप्ता ने कहा कि मसूरी को तहसील बनाने की घोषणा पर शीघ्र अमल भी होना चाहिए।