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मालन नदी पर बीते दिनों भारी बारिश के चलते पुल टूटने की खबरें तो आपने देखी ही होंगी, लेकिन क्या वास्तव में पुल बारिश की वजह से टूटा या फिर वजह कोई और थी, शायद इस बात का कभी पता ना चल पाता, लेकिन एक ऐसा वीडियो सामने आया है ,जिसने खोल के रख दी सारी पोल, कि आखिर किसकी लापरवाही और मुनाफाखोरी के चलते पुल टूटा है, दरअसल पुल टूटने के कुछ दिन पूर्व बना एक सनसनीखेज वीडियो सामने आने से कार्यदायी संस्था और विभाग के अधिकारियों की पोल खोल कर रख दी है, तो देखिये वायरल वीडियो से कैसे खुली पोल।
ये कहना गलत नहीं होगा कि सच को दबाया तो जा सकता है मगर छुपाया नहीं जा सकता, सच तो कभी ना कभी सामने आ ही जाता है, 13 जुलाई 2023 कोटद्वार शहर को भाबर क्षेत्र से जोड़ने वाला पुल का पिलर उस वक्त ढह गया जब लोक निर्माण विभाग ने मौसम विभाग की भारी बारिश की चेतावनी के बावजूद इस पुल के नीचे जो पिलर ढह गया उस पर ट्रीटमेंट का कार्य करवा रहा था। लोक निर्माण विभाग की इस गलती का खामियाजा एक व्यक्ति ने अपनी जान देकर चुकाई। जिम्मेदार अधिकारियों और जिम्मेदार जनप्रतिनिधियों ने बड़े ही चालाकी से नदी में हो रहे अवैध खनन को आपदा का नाम देकर अपने कारनामों पर पर्दा डाल दिया, और जनता के सामने आपदा की दुहाई देने लगे, कुछ प्रतिनिधि तो अपनी राजनीति चमकाने के लिए मीडिया के दल बल के साथ पहुंचे और जनता के हिमायती बताने से नहीं चूके और जनता भी इसे प्रकृति का प्रकोप मानकर अधिकारियों और नेताओं बयानों को ही सच मान बैठी।
लेकिन सच तो बाहर आना ही था, और पुल टूटने के कुछ दिनों बाद ही सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल होता है, जिससे 20 और 21 जून का बताया जा रहा है, जिसमें एक व्यक्ति अपने मोबाइल से वीडियो बनाते हुए मालन नदी में पुल नीचे जाता है, और वहां कार्य कर रहे मजदूरों से पूछता है, की बरसात आने वाली है क्यों ट्रीटमेंट के नाम पर पुल की नींव को खोदा जा रहा है । यह ढह जाएगा, लगभग 3 मिनट की इस वायरल वीडियो में कई सच्चाई सामने आ रही है, जिसमें सीधे तौर पर विभागीय अधिकारियों की लापरवाही और अवैध खनन के चलते पुल को पहुंचे नुकसान की तस्वीर साफ बयां हो रही है। जिसके चलते पुल भेंट चढ़ गया। वहीं लोक निर्माण विभाग के अधिशासी अभियंता डीपी सिंह ने इस बारे में मीडिया से बात करने से इनकार कर दिया।
बहरहाल पुल टूटने के बाद जनता को गुमराह करने वाले अधिकारी और नेता नगरी ने भले ही पुल को जल्द बनाने की बात कही हो और जिम्मेदारों पर कार्यवाही की बात कहीं हो लेकिन हकीकत तो ये है कि लोक निर्माण विभाग ने मौसम विभाग की भारी बारिश की चेतावनी के बावजूद बरसात से ठीक 20 दिन पहले पुल के इन पिल्लरौ पर ट्रीटमेंट का कार्य कराया, जबकि पुल के पिलर खतरे की जद में थे, ऐसे में ना तो पुल पर आवाजाही को रोका गया और ना ही निर्माण कार्य को युद्ध स्तर बरसात से पहले ट्रीटमेंट किया गया, वहीं देखना होगा कि अब सरकार के नुमाइंदे जिम्मेदारों पर कार्यवाही करते हैं या फिर मामले की लीपापोती से ही जनता को संतुष्ट होना पडेगा।