एसपी साहब की हनक या फिर आरटीआई कार्यकर्ता की अभद्रता! शत्रुओं की जरूरत क्या यहाँ पुलिस ही काफी है षड्यन्त्र करने के लिए

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पिथौरागढ़। पुलिस का नाम जेहन में आते ही सुरक्षा और सम्मान की भावना आ जाती है, लेकिन क्या पुलिस द्वारा की गई जांच और कार्यवाही हर बार सही होती है। अगर ऐसा होता तो पुलिस ही फाइनल वर्डिक्ट सुनाती और न्यायालय की जरूरत ही नहीं पड़ती। कुछ ऐसा ही मामला पिथौरागढ़ जिले से सामने आया है, जहां एक आरटीआई कार्यकर्ता ने तत्कालीन एसपी पर उसे नंगा करके पीटने और फिर फर्जी मुकदमों में फंसाने का आरोप लगाया है।

मामले के अनुसार आरटीआई कार्यकर्ता लक्ष्मी दत्त जोशी ने वर्ष 2020 में चंपावत जिले के कुछ भाजपा नेताओं का खुलासा किया था जो फर्जी प्रमाण पत्रों के सहारे ग्राम प्रधान बने थे। इन्ही ग्राम प्रधानों में से एक मुकेश कलखुड़िया ने लक्ष्मी दत्त जोशी पर धारा 504, 506 में दो मुकदमें दर्ज करवाए थे। यही नहीं पानी की समस्या की शिकायत को लेकर जल निगम के कार्यालय में गए लक्ष्मी दत्त जोशी को नशे में धुत्त कर्मचारियों ने पीट डाला, जिस पर लक्ष्मी दत्त जोशी ने पुलिस में शिकायत की लेकिन तत्कालीन एसपी लोकेश्वर सिंह के आदेश पर पुलिस ने उलटे लक्ष्मी दत्त जोशी पर मुकदमा ठोक दिया।

कहानी यही नहीं रुकी, एक दिन लक्ष्मी दत्त जोशी पिथौरागढ़ पुलिस लाइन की टूटी सीवर लाइन को ठीक करवाने के लिए एसपी कार्यालय पिथौरागढ़ में शिकायत करते है। कुछ दिनों तक जब कोई कार्यवाही नहीं होती है तो लक्ष्मी दत्त जोशी तत्कालीन एसपी लोकश्वर सिंह से कार्यवहाई के बारे में पूछते है जिस पर एसपी साहब भड़क जाते है और लक्ष्मी दत्त जोशी के साथ अभद्र व्यवहार करते हुए कार्यालय में कपड़े उतरवाकर पिटाई लगवा देते हैं। लक्ष्मी दत्त जोशी ने एसपी लोकेश्वर सिंह की शिकायत पुलिस शिकायत प्राधिकरण में भी की, जहां पर एसपी लोकेश्वर सिंह ने प्राधिकरण को बताया कि लक्ष्मी दत्त जोशी के द्वारा लगाए गए सारे आरोप निराधार हैं, लेकिन जब प्राधिकरण के अधिकारियों ने एसपी साहब से सवाल पूछे तो एसपी साहब खुद के द्वारा दिए गए शपथ पत्र के विपरित बयान दे बैठे।

पुलिस के अनुसार लक्ष्मी दत्त जोशी आए दिन पुलिस को फर्जी शिकायतों के लिए परेशान करते रहते हैं और सोशल मीडिया में लगातार सीएम धामी और अन्य अधिकारियों के लिए अभद्र भाषा का प्रयोग करते हैं और गैर कानूनी कार्यों में लिप्त रहते हैं जिस कारण उनपर कई केस दर्ज हो चुके हैं जो कि न्यायालय में लंबित चल रहे हैं। लक्ष्मी दत्त जोशी से जब इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि जब जनता के प्रतिनिधि और कर्मचारी जनता के लिए कार्य नहीं करेंगे तो जनता सोशल मीडिया के माध्यम से जवाब देगी। अगर कोई अभद्र भाषा का प्रयोग करना पड़ेगा तो वो भी करेगी, आलोचना करने का अधिकार उन्हें देश का लोकतंत्र देता है। पुलिस शिकायत प्राधिकरण में एसपी लोकेश्वर सिंह ने अपने शपथ पत्र के साथ दो पत्रकारों का भी शपथ पत्र लगाया, ताकि उनकी बात को प्रामाणिकता मिल सके, जबकि लक्ष्मी दत्त जोशी का कहना है कि वारदात के समय कोई भी पत्रकार मौके पर मौजूद नहीं था। जिस दिन वारदात हुई उस दिन की लोकेशन और सीसीटीवी फुटेज अगर पुलिस दे देगी तो सारा सच बाहर आ जाएगा, लेकिन इस मामले में एसपी लोकेश्वर सिंह फंसते हुए नजर आ रहे हैं इसलिए पूरा पुलिस महकमा एसपी साहब को बचाने की जुगत में लगा हुआ है।

लक्ष्मी दत्त जोशी के अनुसार उन्हें फसाने के लिए एसपी लोकेश्वर सिंह ने गुंडा एक्ट से लेकर एससी-एसटी ऐक्ट में भी मुकदमा दर्ज करवाया था जो कोर्ट में फर्जी साबित हुआ। लक्ष्मी दत्त जोशी के अनुसार एसपी साहब ने उन्हें इस कदर प्रताड़ित किया कि वो आत्महत्या तक करने का कदम उठा लें लेकिन लक्ष्मी दत्त जोशी ने हार नहीं मानी और आज तक लड़ाई जारी है। लक्ष्मी दत्त जोशी जो कि एक आरटीआई कार्यकर्ता हैं और जन मुद्दों को लेकर मुखर रहते हैं। सरकार और अधिकारियों की लापरवाही के चलते आरटीआई लगाना और सोशल मीडिया पर सरकार की आलोचना करना और अभद्र भाषा का प्रयोग करने के कारण इन पर एसपी लोकेश्वर सिंह के कार्यकाल में एससी-एसटी एक्ट से लेकर गुंडा उक्ट तक कई मुकदमें दर्ज हैं जिनमें से कई मुकदमें झूठे पाए गए हैं और कई विचाराधीन चल रहे हैं। एक आरटीआई कार्यकर्ता की आवाज को दबाने के लिए एसपी रैंक का अधिकारी किस हद तक पावर का गलत इस्तेमाल कर सकता है इस मामले से समझा जा सकता है।

 


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