बदले की जमीन पर लिखी अंकित के कत्ल की पटकथा! 50 हजार की इनामी नौकरानी व पति ने खोले कई राज

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उत्तराखंड अंकित हत्याकांड में सिर्फ माही ही नहीं थी जो अंकित की मौत चाहती थी। बल्कि हत्याकांड से जुड़ा हर किरदार अंकित को रास्ते से हटाना चाहता था और इसके पीछे था बदला। एक सपेरे रमेश नाथ को छोड़ दें तो अन्य चारों अंकित को अपना दुश्मन समझते थे। अंकित की हत्या के आखिरी प्यादे और 50-50 के इनामी नौकरानी ऊषा व उसका पति रामऔतार बुधवार को शहर पहुंचे तो हत्याकांड से जुड़े कई और राज खुले।

पुलिस बहुउद्देशीय भवन में बुधवार को वार्ता के दौरान एसएसपी पंकज भट्ट ने बताया कि 14 जुलाई की रात हुई अंकित की हत्या के मामले में मास्टर माइंड माही उर्फ डॉली, उसके प्रेमी दीप कांडपाल और सपेरे रमेश नाथ को पहले ही गिरफ्तार किया जा चुका था। इस मामले में सिर्फ नौकरानी ऊषा और उसका पति रामऔतार फरार थे। इन दोनों को पश्चिम बंगाल के जिले मालदा से गिरफ्तार किया गया। नौकरानी ऊषा का कहना है कि वह अपने पति के साथ पिछले 2 साल से ऊषा के संपर्क में थी और हरिपुर शिवदत्त में बचखेती की जमीन पर झोपड़ी बनाकर रहती थी। इलाके में अफवाह थी कि बंगालन ऊषा जादू-टोना करती है। करीब 8 माह पूर्व बचखेती ने उसे वहां से निकाल दिया और ऊषा को शक हुआ की बचखेती ने यह सब अंकित के कहने पर किया। जिसके बाद उसने भी अंकित के खिलाफ मन में खुन्नस पाल ली और फिर ऊषा ने माही के घर के पास ही अपनी झोपड़ी बना ली। इधर माही इंतकाम लेने की योजना बना रही थी। दीप इस बात का बदला लेना चाहता था कि अंकित माही को कंट्रोल कर रहा है और उसे प्रताड़ित कर रहा है। सभी मिले तो रामऔतार ने बदले के इंतकाम को अमलीजामा पहना दिया गया। हत्या के बाद अलग होने से माही ने बरेली रेलवे स्टेशन पर ऊषा और रामऔतार को 10-10 हजार रुपये दिए। जिसके बाद नौकरानी और उसका पति पश्चिम बंगाल के लिए रवाना हो गए। अंकित हत्याकांड मामले में माही के घर में लगा डीवीआर पुलिस के लिए कोर्ट में अहम सुराग साबित हो सकता है। हालांकि पुलिस का कहना है कि डीवीआर अंकित की हत्या से 25 दिन पहले खराब हो गया और इस डीवीआर को ठीक कराने के लिए माही ने अंकित को दिया था, लेकिन अब अंकित की मौत हो चुकी है। ऐसे में डीवीआर कहां है, किसी को नहीं पता। एसएसपी पंकज भट्ट का कहना है कि पुलिस डीवीआर का पता लगा रही है। ऊषा की एक 9 साल की लड़की और 2 साल का लड़का है। लड़की पहले पिता की बताई जा रही है, जिसे ऊषा ने पश्चिम बंगाल में अपने परिजनों के सुपुर्द कर दिया है। जबकि 2 साल के बेटे को वह अपने साथ लेकर आई है। 27 जुलाई को पुलिस ऊषा और रामऔतार को कोर्ट में पेश करेगी। जहां से उसे जेल भेज दिया जाएगा। हत्याकांड का आरोप भले ही ऊषा पर हो, लेकिन उसके बेकसूर बेटे को भी उसके साथ जेल में ही रहना होगा।

पेशे से मजदूर रामऔतार को शादी के लिए लड़की नहीं मिल रही थी। किसी ने रामऔतार को ऊषा के बारे में बताया, लेकिन वो पहले से शादीशुदा था। हालांकि उसने अपने पति को छोड़ दिया था। रामऔतार की ऊषा से शादी कराने के लिए बिचौलिये ने 20 हजार रुपये लिए थे और इसका खुलासा रामऔतार के पिता लाला राम ने किया। शादी की बात करीब 10 साल पुरानी है और तब से ऊषा वापस बंगाल नहीं गई। इधर हत्या के बाद जब छिपने की जगह नहीं बची तो ऊषा 10 साल बाद मालदा पश्चिम बंगाल में अपनी मां के घर पहुंची। शादी की वजह से मां उससे पहले ही खफा थी और उसने 3 दिन में ही बेटी को घर से भगा दिया। जिसके बाद वो अपनी भांजी के घर पहुंची। यहां से ऊषा अपने पति और दोनों बच्चों के साथ बांग्लादेश भागने की तैयारी थी लेकिन पकड़ी गई। मालदा से बांग्लादेश की सीमा कुछ घंटों की दूरी पर है और पुलिस को देरी होती तो दोनों देश छोड़ कर भाग चुके होते। रामऔतार ने पुलिस को बताया कि वो न तो शराब पीता है और न ही मांस खाता है, लेकिन उसकी पत्नी ऊषा उससे बिल्कुल अलग है। वो शराब और मांस की शौकीन है। जब वह माही के संपर्क में आई तो दोनों के बीच अच्छी दोस्ती हो गई। माही पहले से ही शराब की शौकीन थी और जब माही शराब पीती तो ऊषा को अपने साथ बैठकर शराब पिलाती। शराब की ये दोस्ती बाद में इतनी गहरी हुई तो ऊषा ने माही के साथ मिलकर हत्या करने को हां कर दी।

 

 

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मोदी ने नये बने सम्मेलन-प्रदर्शनी केंद्र में किया हवन-पूजन! श्रमिकों का भी किया सम्मान

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बुधवार को राजधानी के प्रगति मैदान में नवनिर्मित अंतरराष्ट्रीय प्रदर्शनी-एवं-सम्मेलन केंद्र (आईईसीसी) परिसर में पूजा-अर्चना की और इस केंद्र के निर्माण में शामिल रहे श्रमिकों को सम्मानित किया।

पीएम मोदी ने एक ट्वीट में कहा, दिल्ली को एक आधुनिक और भविष्यवादी इंटरनेशनल प्रदर्शनी-सह-सम्मेलन केन्द्र मिला है, जो भारत में सम्मेलन पर्यटन को बढ़ावा देगा, जहां दुनिया भर से लोग आएंगे। केन्द्र के आर्थिक और पर्यटन संबंधी लाभ भी कई गुना होंगे। लगभग 123 एकड़ क्षेत्र के साथ प्रगति मैदान का आईईसीसी परिसर भारत में इस तरह की सबसे बड़ी सुविधा है। इसे 2700 करोड़ रुपये की लागत से एक राष्ट्रीय परियोजना के रूप में विकसित किया गया है। भारत की अध्यक्षता में जी20 की शिखर बैठक का सितंबर में आयोजन इसी परिसर में होने वाला है। यह परिसर देश में बड़ी बैठकों, सम्मेलनों और प्रदर्शनियों की मेजबानी के लिए विश्व स्तरीय बुनियादी ढांचे के विकास के संबंध में मोदी सरकार की सोच का परिणाम बताया जा रहा है। इस परिसर में सम्मेलन केंद्र, प्रदर्शनी हॉल, खुले रंगमंच जैसी कई अत्याधुनिक सुविधाएं विकसित की गयी हैं। इसके भव्य बहुउद्देश्यीय कक्ष और महाधिवेशन कक्ष की संयुक्त क्षमता सात हजार लोगों की है, जो ऑस्ट्रेलिया के प्रसिद्ध सिडनी ओपेरा हाउस की बैठने की क्षमता से भी अधिक है। एम्फीथिएटर (खुला रंगमंच) 3,000 व्यक्तियों की बैठने की क्षमता से सुसज्जित है। सम्मेलन केंद्र का वास्तुशिल्प भारतीय परंपराओं से प्रेरित है और आधुनिक सुविधाओं और जीवन शैली को अपनाने के साथ-साथ अपने अतीत में भारत के आत्मविश्वास और दृढ़ विश्वास को भी दर्शाता है।


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