बड़ी खबर:- हाई कोर्ट ने निरस्त किया सरकारी सेवाओं में आंदोलनकारियों के 10 फीसद क्षेतिज आरक्षण का प्रार्थना पत्र

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नैनीताल। उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने राज्य आंदोलनकारियों को सरकारी सेवाओं में 10 फीसदी क्षैतिज आरक्षण दिए जाने के मामले में सरकार के प्रार्थना पत्र को निरस्त कर दिया है।
सरकार अब आदेश में संशोधन प्राथर्ना पत्र पेश कर रही है। अब इसका कोई आधार नहीं रह गया है और न ही देर से पेश करने का कोई ठोस कारण पेश किया गया है।अदालत ने कहा कि यह प्रार्थना पत्र लिमिटेशन एक्ट की परिधि से बाहर जाकर पेश किया गया है। जबकि आदेश होने के 30 दिन के भीतर पेश किया जाना था।
कार्यवाहक मुख्य न्यायधीश संजय कुमार मिश्रा और न्यायमूर्ति आर. सी. खुल्बे की खण्डपीठ ने राज्य आंदोलनकारियों को दस फीसदी क्षेतिज आरक्षण दिए जाने के दो शासनादेशों के मामले में सुनवाई की।
मालूम हो कि पूर्व मुख्यमंत्री दिवंगत एन.डी. तिवारी की सरकार वर्ष 2004 में शासनादेश लाई थी। पहला शासनादेश लोक सेवा आयोग से भरे जाने वाले पदों के लिए और दूसरा शासनादेश लोक सेवा परिधि के बाहर के पदों हेतु के लिए।
शासनादेश जारी होने के बाद राज्य आन्दोलनकारियों को दस फीसदी क्षेतीज आरक्षण दिया गया। वर्ष 2011 में माननीय उच्च न्यायलय ने इस पर रोक लगा दी थी।


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