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भारत के 28वें राज्य उत्तराखंड को नौ नवंबर को 22 साल पूरे हो जाएंगे लेकिन दो दशक से अधिक समय बीतने के बावजूद जन अपेक्षाएं पूरी नहीं हो सकी हैं। खासकर पढ़ाई, कमाई और दवाई के मामले में। यह स्थानीय युवाओं और अन्य वर्ग के लोगों का कहना है। चंपावत जिले में ही उच्चशिक्षा के केंद्र दो से बढ़कर सात हुए, राजकीय पॉलीटेक्निक एक से बढ़कर तीन और इसी दौर में पहला राजकीय इंजीनियरिंग कॉलेज भी खुला मगर गुणवत्तायुक्त शिक्षा को लेकर संशय रहा। बेरोजगारी का आलम यह कि दो दशक पहले पंजीकृत बेरोजगार पांच हजार से भी कम थे जो अब संख्या बढ़ने से 24 हजार का आंकड़ा पार कर गए हैं। वहीं स्वास्थ्य सुविधाओं को लेकर भी लोगों के सवाल बने हुए हैं। राज्य आंदोलनकारी चिह्नीकरण को लेकर भी लोग अंगुली उठा रहे हैं।