उत्तराखण्ड में लागू हुआ नो वर्क नो पे सिस्टम,सरकार ने किया आदेश जारी

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कर्मचारियों की हड़ताल से परेशान उत्तराखंड सरकार ने हड़ताल और कार्य बहिष्कार पर जाने वाले कर्मचारियों के प्रति सख्त रुख अपना लिया है। सरकार ने प्रदेश में ‘नो वर्क नो पे’ लागू कर दिया है। साथ ही हड़ताल पर जाने वालों को सख्त चेतावनी दी है। इस संबंध में मुख्य सचिव डॉ. एसएस संधु ने आदेश जारी कर दिए हैं। जिसमें आठ जनवरी 2013 के शासनादेश का हवाला देते हुए कहा गया है कि कार्मिकों के द्वारा प्रदर्शन तथा हड़ताल राज्य कर्मचारी आचरण नियमावली के अन्तर्गत प्रतिबन्धित है। कर्मचारी संगठनों के आह्वान पर कार्मिकों के द्वारा हड़ताल/कार्य बहिष्कार किए जाने की स्थिति में कार्य नहीं तो वेतन नहीं, के सिद्धान्त को लागू करने सहित अन्य दिशा-निर्देश निर्गत किए गए थे। शासन के संज्ञान में यह आया है कि शासन द्वारा विभिन्न कर्मचारी संगठनों की मांगों पर समय-समय पर कर्मचारी संगठनों के साथ वार्ता करते हुए उनकी कई मांगे स्वीकार की गयी हैं,इसके बाद भी कुछ कर्मचारी संगठनों के कार्य बहिष्कार, प्रदर्शन अथवा हड़ताल जैसी गतिविधियों में संलग्न होने की संभावना है,जिससे जनहित के कार्यो में अवरोध उतपन्न होता है। इसलिए व्यापक सोच विचार के बाद कार्मिकों के द्वारा राज्य कर्मचारी आचरण नियमावली के प्राविधानों के विपरीत जाकर कार्य बहिष्कार,प्रदर्शन या हड़ताल की स्थिति उत्पन्न करने पर निम्न कार्यवाही किए जाने का निर्णय लिया गया है।

शासन द्वारा निर्गत आदेश के अनुसार हड़ताल/कार्य बहिष्कार पर रहने वाले कार्मिकों को वेतन का भुगतान नहीं किया जायेगा। विभागाध्यक्ष/कार्यालयाध्यक्ष द्वारा हड़ताल पर रहने वाले कार्मिक का विवरण आहरण वितरण अधिकारी के माध्यम से कोषागार को उपलब्ध कराया जायेगा तथा कोषागार द्वारा तदनुसार निर्दिष्ट अवधि के वेतन का भुगतान नहीं किया जायेगा। यदि किसी कार्यदिवस के पूर्ण बहिष्कार के स्थान पर घंटों के आधार पर बहिष्कार किया जाता है तो कार्य बहिष्कार के आठ घंटों को एक कार्यदिवस मानकर कुल कार्य बहिष्कार के दिवसों/घंटों के लिए अनुपातिक गणना एवं कटौती की जायेगी।

शासनादेश में कहा गया है कि प्रत्येक विभागाध्यक्ष/कार्यालयाध्यक्ष द्वारा अपने अधीनस्थ कार्यालयों में कार्मिकों की उपस्थिति की कड़ाई से जांच की जायेगी और यदि कोई कार्मिक उपस्थिति पंजिका में हस्ताक्षर करने के उपरान्त कार्य नहीं करते हैं तो उन्हें भी हड़ताल/कार्य बहिष्कार में सम्मिलित माना जायेगा एवं उनके सम्बन्ध में भी कार्यवाही की जायेगी। शासनादेश में कहा गया है कि हड़ताल/कार्य बहिष्कार अवधि को बाद में किसी भी दशा में उपार्जित अवकाश या अन्य प्रकार के अवकाश के रूप में समायोजित नहीं किया जायेगा, बल्कि इस अवधि को सम्बन्धित कार्मिक की सेवा में व्यवधान माना जायेगा। हड़ताल/कार्य बहिष्कार अवधि में अपरिहार्य परिस्थितियों को छोड़कर किसी भी कार्मिक को सामान्य रूप से अवकाश स्वीकृत नहीं किया जायेगा। हड़ताल/कार्य बहिष्कार की अवधि में जो कार्मिक कार्य पर आते हैं, उन्हें पूर्ण सुरक्षा प्रदान की जायेगी। साथ ही कहा गया है कि विभागाध्यक्ष और कार्यालयाध्यक्ष का यह व्यक्तिगत उत्तरदायित्व होगा कि उपरोक्तानुसार कार्यवाही सुनिश्चित की जाय और इसमें किसी प्रकार की शिथिलता की दशा में उनके विरूद्ध भी कार्यवाही की जायेगी।


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