पहाड़ो पर सेवा न देने वाले डॉक्टरों पर सख्ती, महानिदेशक को भेजी जा रही 333 डॉक्टरों की लिस्ट

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उत्तराखंड बांड की शर्तों का उल्लंघन करने वाले मेडिकल कॉलेज हल्द्वानी के डॉक्टरों को रिकवरी सर्टिफिकेट (आरसी) जारी करने की तैयारी है। कॉलेज की ओर से 333 डॉक्टरों की लिस्ट तैयार कर स्वास्थ्य महानिदेशक को भेजी जा रही है। महानिदेशक की मुहर लगने के बाद प्रशासन के माध्यम से इनके खिलाफ कार्रवाई होगी।

राजकीय मेडिकल कॉलेज हल्द्वानी में वर्ष 2007 से 2019 तक एमबीबीएस की पढ़ाई के दौरान छात्रों से बांड भरवाए गए थे। इसके बाद उन्हें फीस में बड़ी रियायत दी गई थी। बांड की शर्तों के अनुसार एमबीबीएस की पढ़ाई पूरी करने के बाद इन डॉक्टरों को 2 से 5 साल तक पर्वतीय क्षेत्रों में सेवा देनी थी।

इसी प्रकार वर्ष 2014 से 2019 तक पीजी के छात्रों को भी बांड भरने पर फीस में राहत दी गई थी। बांड भरने के बावजूद एमबीबीएस के 290 और पीजी के 43 छात्र ऐसे हैं जिन्होंने पढ़ाई पूरी करने के बाद बांड की शर्तों का अनुपालन नहीं किया। कॉलेज प्रबंधन ने इनकी फाइनल लिस्ट तैयार कर ली है। यह लिस्ट स्वास्थ्य महानिदेशक को भेजी जा रही है।

ऐसे निकाल रहे काम नहीं करने का रास्ता
जिन डॉक्टरों की आरसी कटनी है वह शुरू से ही पहाड़ों पर काम नहीं करने का रास्ता निकालते आ रहे हैं। ये डॉक्टर नोटिस मिलने के बाद ज्वाइंन कर लेते हैं। एक-दो माह काम करने के बाद फिर से लापता हो जाते हैं। स्वास्थ्य विभाग तक इसकी सूचना पहुंचने तक काफी वक्त गुजर जाता है। इसके बाद स्वास्थ्य विभाग उनके लापता होने की सूचना चिकित्सा शिक्षा विभाग को भेजता है। इस पूरी प्रक्रिया में 5 से 6 माह का वक्त निकल जाता है। फिर डॉक्टर को नोटिस भेजा जाता है।

बांड की शर्तों को तोड़ा सेवाएं नहीं दीं
बांड की शर्त के मुताबिक सेवा नहीं देने पर पीजी कर चुके एक छात्र से करीब 19 लाख रुपये से ज्यादा व एमबीबीएस करने वाले छात्र से करीब 17 लाख रुपये से ज्यादा वसूले जाएंगे। बांड की रकम अगर छात्र अदा नहीं करते हैं तो उनके खिलाफ एफआईआर भी कराई जा सकती है।

राजकीय मेडिकल कॉलेज हल्द्वानी के प्राचार्य डॉ अरुण जोशी तीन सौ से ज्यादा एमबीबीएस व पीजी पास कर चुके बांडधारी डॉक्टर पर्वतीय क्षेत्रों में सेवा नहीं दे रहे हैं। उनके खिलाफ कार्रवाई की तैयारी की जा रही है। उनकी लिस्ट बनाकर डीजी हेल्थ को भेजी जा रही है।

 


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