उत्तराखण्डः वनों के पौधे से इत्र बनाने को लेकर मसूरी मे आयोजित हुआ सम्मेलन! वक्ताओं ने रखे अपने विचार, बोले- यहां इत्र बनाने की अपार संभावनाएं

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मसूरी। मसूरी में हिम सुरभि अरोमा म्यूजियम में आयोजित पारंपरिक भारतीय इत्र में अरंडी की सुगंध और आगे बढ़ने का एक स्थायी तरीका पर सम्मेलन आयोजित किया गया। जिसमें वक्ताओं ने वनों के पौधों से इत्र बनाने और इससे रोजगार सृजन पर अपने विचार व्यक्त किए। लाइब्रेरी स्थित हिम सुरभि अरोमा म्युजियम में आयोजित सम्मेलन में एफआरआई के वैज्ञानिक और सीबीपीडी के अध्यक्ष डा. वीके वार्षणेय ने कहा कि उत्तराखंड के वनों में ईत्र बनाने की अपार संभावनाएं है। यहां पर बहुत सारे हब्स, स्पाइस, सुगंधित हुडस है, जिससे इत्र बनाया जा सकता है जिसमें चमोमाइल, रोमन चमोमइल, वैटिवा, रोज मैरी, सिडरवुड, रोज, देवराद आदि है जो बड़ी संख्या में उपलब्ध है। इस मौके पर कन्नौज से आये धीरेंद्र कुमार दुबे ने बताया कि उत्तराखंड में इत्र बनाने की बहुत संभावनाएं है। यहां पर अनेक प्रकार के सुगंधित पौधे व पेड़ है। उन्होंने बताया कि उन्होंने खुद देवदार, जंगली गुलाब, कपूर की बत्ती से इत्र बना कर दिखाया है। इस ओर लोगों को प्रोत्साहित करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि ज्योति मारवाह ने उन्हें यहां आमत्रित किया, ताकि लोग इस दिशा में प्रयास करें। इस मौके पर ज्योति मारवाह ने कहा कि इस दिशा में पांच साल से कार्य कर रहे हैं जिसे हिम सुरभि अरोमा म्यूजियम के माध्यम से प्रदर्शित किया गया है। वनों से जो हमें अरोमा मिलते है इसको सभी हल्के में लेते है तथा इसे अनदेखा कर देते हैं, जबकि जंगलों से असीम सुगंधित पौधे मिलते है। इस मौके पर अभिषेक रावत, प्रियंका भंडारी, रमेश चमोली, रिंकी, अंजलि, रविंद्र कुमार मारवाह, प्रो. डॉ. कुमुद पंत आदि मौजूद थे।


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