यूपीसीएल के ऋषिकेश विद्युत वितरण खंड में 17 लाख का गबन

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उत्तराखंड पावर कारपोरेशन लिमिटेड (यूपीसीएल) के ऋषिकेश विद्युत वितरण खंड में 17 लाख रुपये के गबन का मामला सामने आया है। भनक लगते ही अधिशासी अभियंता ने अपने स्तर से जांच समिति बनाकर आरोपी महिला कर्मी को नौकरी से निकाल दिया। 

यूपीसीएल के ऋषिकेश विद्युत वितरण खंड में महिला कर्मचारी वर्षों से अस्थायी बिजली कनेक्शनों की सिक्योरिटी राशि उपभोक्ताओं को लौटाने के बजाए अपने खातों में जमा करा रही थी। उपभोक्ताओं को इसकी जानकारी न होने से वह अब तक 17 लाख रुपये गबन कर चुकी थी। सूत्रों के मुताबिक, महिला कर्मचारी से अधिशासी अभियंता शक्ति प्रसाद ने बदले में 19 लाख की रिकवरी करा नौकरी से निकाल दिया। अधिशासी अभियंता ने अधीक्षण अभियंता या उनसे ऊपर के किसी भी अधिकारी को मामले की जानकारी देना भी गंवारा नहीं समझा। जब अधीक्षण अभियंता गौरव शर्मा से जानकारी मांगी गई तो वह अनभिज्ञ थे। उन्होंने शनिवार को अधिशासी अभियंता को कार्यालय में तलब किया है। वहीं अधिशासी अभियंता शक्ति प्रसाद का कहना है कि मामले की जानकारी मिलने के बाद उन्होंने इसकी जांच बैठाई थी। इस दौरान वह पैसा खाते में वापस आ गया था। उन्होंने स्वीकार किया कि महिला कर्मचारी ने जानबूझकर पैसा दूसरे खातों में पहुंचाया था। बताया, मामले की जांच चल रही है। महिला कर्मचारी को नौकरी से निकाल दिया गया है। अभी अंतिम जांच रिपोर्ट नहीं आई है। यूपीसीएल का नियम है कि उपभोक्ताओं से जो भी सिक्योरिटी राशि जमा कराई जाती है, उसकी डिमांड लिस्ट बनाकर ई-मेल से यूपीसीएल मुख्यालय को आती है। यहां से एप्रूवल के बाद लिस्ट वापस डिवीजन चली जाती है। वहां से बैंक को भेज दी जाती है और उपभोक्ताओं के खातों में वह पैसा जमा हो जाता है। महिला कर्मचारी जो सूची बनाकर यूपीसीएल को भेजती थी, वह एप्रूवल के बाद बैंक भेजने से पहले बदल देती थी। सवाल ये उठ रहे कि सूची बैंक या मुख्यालय में तभी वैध मानी जाती है, जबकि उस पर अधिशासी अभियंता व अकाउंटेंट के हस्ताक्षर हों। महिला कर्मचारी जो सूची बदलकर बैंक भेजती थी, उसमें भी अधिशासी अभियंता व अकाउंटेंट के हस्ताक्षर होते थे। लिहाजा, कई अधिकारी भी सवालों के घेरे में आ रहे हैं। यूपीसीएल के निदेशक संचालन एमएल प्रसाद ने कहा, मामले का स्पेशल ऑडिट कराएंगे, ताकि स्पष्ट हो सके कि कुल कितनी रकम का गबन हुआ है। कहा, मामले के जो भी जिम्मेदार अधिकारी होंगे, मुख्यालय स्तर से कार्रवाई की जाएगी। ऋषिकेश विद्युत वितरण खंड में तबादले के सीजन का कोई असर नजर नहीं आता। यहां अधिकारियों से लेकर कर्मचारी लंबे समय से जमे हुए हैं।सूत्रों के मुताबिक ऋषिकेश में वर्षों से काबिज अधिकारी-कर्मचारी राजनीतिक रसूख का इस्तेमाल करते जमे हैं। पिछले कुछ वर्षों में गबन के कई मामले अलग-अलग डिवीजन में सामने आते रहे हैं। ज्यादातर मामलों में कर्मियों से पैसा वापस जमा करा लिया जाता है और कार्रवाई से बचते रहे हैं। इससे पूर्व हरिद्वार, ऊधमसिंह नगर में भी ऐसे मामले सामने आ चुके हैं, जबकि नियमानुसार सरकारी पैसे का गबन करने वालों पर कानूनी व विभागीय कार्रवाई अमल में लाई जानी चाहिए।


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