आधी छोड़ पूरी को जावे,आधी मिले न पूरी पावे कहावत पर ठीक बैठ रहे हरक सिंह रावत,जानिए विस्तृत खबर

Spread the love

राजनीति में अपने पुत्र,पुत्री के लिए अपनी पूरी राजनीतिक ताकत लगाने के अनेकों उदाहरण देखने को मिलते हैं,परन्तु ऐसा बहुत कम देखने को मिलता है जब कोई राजनेता अपनी बहू के लिए अपने राजनीतिक करियर को दांव पर लगा दे।
उत्तराखण्ड के दिग्गज नेता हरक सिंह रावत ने अपनी पुत्रवधु के लिए अपने राजनीतिक जीवन को संकट में डाला था,यहां तक कि अपनी पुत्रवधु को टिकट दिलाने के लिए उन्होंने भाजपा से बगावत कर दी थी,जिसके बाद भाजपा ने उन्हें पार्टी से निष्काषित कर दिया था।हालांकि बाद में हरक सिंह रावत बाद में अपनी बहू को कांग्रेस से टिकट दिलाने में सफल हो गए थे,परन्तु पार्टी ने उनकी बहू को टिकट देकर खुद हरक सिंह रावत को टिकट नही दिया।
परन्तु जिस बहू को राजनीति में स्थापित करने के लिए हरक सिंह रावत ने खुद का बलिदान दिया उन्हें चुनाव जिताने मे हरक सिंह रावत सफल नही हो पाए।पौड़ी जिले की लैंसडौन सीट से चुनाव लड़ रही हरक सिंह रावत की बहू अनुकृति लगभग 10 हजार मतों से चुनाव हार गईं।भाजपा के दिलीप रावत ने उन्हें करारी शिकस्त दी है।
अब हरक की बहू के चुनाव हारने के बाद विभिन्न तरह की बातें चल रही हैं।लोगो का कहना है कि हरक सिंह रावत की दबाव की राजनीति का भी अब खात्मा हो गया है और अब हरक सिंह रावत का कद भी उत्तराखण्ड की राजनीति में अब घट गया है।


Spread the love