सरकार पर लगाया वादाखिलाफी का आरोप, फिर धरने पर बैठीं आशाएं

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चंपावत। एक समान वेतन नीति बनाने, सरकारी कर्मचारी का दर्जा, न्यूनतम 21 हजार रुपये का मानदेय, सेवानिवृत्ति के बाद पेंशन की सुविधा, कोविड ड्यूटी पर लगी आशा कार्यकर्ताओं को 10 हजार रुपये मासिक जोखिम भत्ता, 50 लाख रुपये का बीमा सहित अन्य मांगों को लेकर लगातार आंदोलनरत आशा कार्यकत्रियों ने सरकार पर वादाखिलाफी का आरोप लगाया है। आशा कार्यकर्ता संगठन ने कहा कि पूर्व में एक माह तक कार्य बहिष्कार करने के बाद सरकार के आश्वासन पर आंदोलन वापस लिया गया था, लेकिन एक माह बाद भी सरकार मांगों की अनदेखी कर रही है। इससे नाराज कार्यकर्ताओं ने मुख्यमंत्री को ज्ञापन भेजा। इस दौरान चंपावत, लोहाघाट व टनकपुर में आशाओं ने अलग-अलग तरीके से विरोध जताया और सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते हुए मांगे पूरी करने को कहा। चंपावत में रुकमणि जोशी, हेमा जोशी, संगीता प्रहरी, कमला जोशी, मीरा पंत, माधवी बर्दोला, सीता चौधरी, नीलू महर, उषा तड़ागी आदि थे। वहीं लोहाघाट में सरस्वती पुनेठा, पदमा प्रथोली, हेमा जोशी, मंजू जोशी, रीतू बिष्ट, आशा सामंत, तुलसी बिष्ट, ममता जोशी, विमला जोशी, मुन्नी जोशी, मुन्नी गोस्वामी आदि थे। टनकपुर में कमला चंद, बबीता महर, लीला नेगी, मंजू चंद, पुष्पा चौहान, सुमन लेखक, शांति उप्रेती, भुवनेश्वरी भट्ट आदि ने प्रदर्शन किया।


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